संसद में पहली बार रोबोट ने पेश की रिपोर्ट, ट्विटर पर उड़ा प्रधानमंत्री का मजाक

इंग्लैंड. ब्रिटेन की संसद में बुधवार को पहली बार एक रोबोट ‘पेपर’ ने रिपोर्ट पेश की। इसके बाद लोग ट्विटर पर प्रधानमंत्री थेरेसा मे का मजाक उड़ाने लगे। उन्होंने कहा कि थेरेसा को ब्रेग्जिट कराने की काफी जल्दी है, लेकिन उनका रोबोट यह काम और ज्यादा तेजी से कर सकता है। वहीं, कुछ लोगों ने रोबोट का नाम ही बदल दिया और उसे प्रधानमंत्री मे से जोड़ते हुए ‘मेबोट’ नाम दे दिया

एजुकेशन सिलेक्ट कमेटी को सुनाई रिपोर्ट
एजुकेशन सिलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष और टोरी की सांसद रॉबर्ट हाफॉन ने मशीन को संसद में बोलने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी के इस ह्यूमनॉइड रोबोट का प्रेजेंटेशन पहले भी देखा था। 

रोबोट ने एजुकेशन सिलेक्ट कमेटी के सामने रिपोर्ट पेश करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में जानकारी दी। साथ ही, बताया कि यूके के स्कूलों में किस तरह बदलाव करना चाहिए। पेपर रोबोट ने अमेरिकन एक्सेंट में रिपोर्ट पेश की थी।

भविष्य में हमारी जरूरतों को पूरा करेंगी ऐसी तकनीक
ऐज यूके संस्था की चैरिटी डायरेक्टर कैरोलीन अब्राहम ने उम्मीद जताई कि भविष्य में इसी तरह की तकनीक हमारी कई तरह की जरूरतों को पूरा करेगी। हालांकि, हम यह बदलाव जल्दी नहीं देखना चाहते हैं

कैरोलीन ने कहा कि इस वक्त कई ऐसी तकनीक हैं, जो हमारी देखभाल कर सकती हैं। इसके बावजूद यह देखना होगा कि क्या ये सब इंसानों के बिना भी काम कर सकती हैं?

हमारे पास पीएम है या रोबोट?
ट्विटर पर एक यूजर बेनेडिक्ट स्मिथ ने लिखा, ‘‘पेपर रोबोट के आने के बाद थेरेसा मे इंसानों जैसी नजर आने लगी हैं।’’ नैश ने लिखा, ‘‘क्या अब हमारे पास प्रधानमंत्री नहीं एक रोबोट है। इसका नाम मेबोट अच्छा रहेगा।’’

जैक ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि ब्रेग्जिट में यह रोबोट ज्यादा अच्छे तरीके से मध्यस्थता निभा सकता है

बीजिंग. चीन अपने आसमान में एक आर्टिफिशियल चांद स्थापित करने की योजना बना रहा है। इस चांद को 2020 में सिचुआन प्रांत के चेंगडू में जमीन से 80 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा। ऊंचाई कम होने से यह आर्टिफिशियल चांद असली चांद से 8 गुना ज्यादा चमकदार होगा

चेंगडू एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन वू चुनफेंड के मुताबिक- आर्टिफिशियल चांद से स्ट्रीट लाइट नहीं होने की समस्या खत्म हो जाएगी। इस चांद की रोशनी ही स्ट्रीट लाइट का काम करेगी

वू के मुताबिक- आर्टिफिशियल मून से 80 किमी के इलाके में रोशनी हो सकेगी। यह पूछे जाने पर कि योजना कुछ असंभव-सी लगती है, वू ने कहा कि तकनीक पर सालों से काम हो रहा है और अब तो यह प्रोजेक्ट खत्म भी होने वाला है।

लोगों में चिंता
आर्टिफिशियल मून को लेकर लोगों में कुछ चिंताएं भी हैं। उनका कहना है कि रोशनी से जानवरों पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही खगोलीय घटनाओं को देखने में परेशानी होगी। हर्बिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर कांग वीमिन ने बताया- आर्टिफिशियल मून एकदम चमकदार नहीं होगा। यह धुंधली सी रोशनी देगा।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी कोशिशें
यह पहली बार नहीं है कि जब इंसान ने रोशनी देने वाले किसी ऑब्जेक्ट को आकाश में भेजा हो। ऐसी योजनाएं नाकाम साबित हुई हैं। सबसे आखिरी कोशिश रूस ने 2017 में की थी

14 जुलाई 2017 को रूस ने कजाकिस्तान के बैकोनुर स्पेसपोर्ट से अंतरिक्ष में सोयूज रॉकेट से एक ऑब्जेक्ट भेजा था। इस ऑब्जेक्ट को चांद के बाद सबसे चमकदार माना गया था। एक महीने बाद ही प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम ने बताया कि वह कक्षा में स्थापित होने में विफल रहा

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