राजस्थान में चुनावी जंग के लिए तैयार हैं पूर्व राजघराने
राजस्थान में पूर्व राज परिवारों ने चुनावी राजनीति में अपनी दखल और दिलचस्पी बरकार रखी है. इस बार भी जब चुनावी जंग के लिए मैदान सुसज्जित हुआ तो पूर्व राजघरानों के सदस्य मुक़ाबले में खड़े मिले.
इसके अलावा कुछ पूर्व सामंत और ठिकानेदार भी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें कोई सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ है तो कोई कांग्रेस के पाले में है.
विश्लेषक कहते हैं कि सामंती संस्कृति के कारण पूर्व राजघरानों का प्रभाव अब भी मौजूद है. लेकिन इतना भर चुनावी जीत की ज़मानत नहीं दे सकता.
कोई तीन माह पहले जब जैसलमेर के पूर्व राज परिवार की राजेश्वरी राज्यलक्ष्मी ने एक जलसे में चुनाव लड़ने की मुनादी की, तो उनके समर्थकों ने हर्षनाद किया. मगर अब उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है.
जयपुर के पूर्व राजवंश की दीया कुमारी अभी सत्तारूढ़ बीजेपी से विधायक हैं. लेकिन दीया कुमारी ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है.
उन्होंने मीडिया से कहा कि इसका कोई अन्य अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वे पार्टी के लिए बदस्तूर काम करती रहेंगी. पार्टी जो भी ज़िम्मेदारी सौंपेगी, निभाया जायेगा.
जानकारों के मुताबिक, पार्टी का एक वर्ग उनके नाम की ख़िलाफ़त कर रहा था. यह भी ग़ौरतलब है कि कोई दो साल पहले एक सम्पति को लेकर बीजेपी सरकार से पूर्व राज परिवार का विवाद इतना बढ़ा कि राजपूत समाज ने
सड़कों पर मोर्चा निकाला.
लोग अब भी सम्मान करते हैं'
इन विधानसभा चुनावों में पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों की मौजूदगी ने चुनावी मुक़ाबले को रोचक बना दिया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद धौलपुर के पूर्व राजपरिवार से हैं और अपनी पारम्परिक सीट झालरापाटन से चुनाव लड़
रही हैं.
कांग्रेस ने वसुंधरा राजे के विरुद्ध मारवाड़ में जसोल के मानवेन्द्र सिंह को उतारा है. राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से सांसद हैं. इसके अलावा कोटा के पूर्व राजघराने की कल्पना, बीकानेर में सिद्धि कुमारी, भरतपुर पूर्व रियासत
की कृषेन्द्र कौर दीपा और विश्वेन्द्र सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं. मुस्लिम रियासत रही लोहारू के ए ए खान दुरु मियां अलवर ज़िले में कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं.
कोटा में पूर्व राजपरिवार के इज्य राज सिंह कांग्रेस से संसद सदस्य रहे हैं. अब वे बीजेपी में हैं. उनकी पत्नी कल्पना कोटा में पार्टी प्रत्याशी हैं. वे कहते हैं कि पूर्व राजपरिवार जनता को हमेशा स्वीकार्य रहे हैं.
सिंह कहते हैं जो भी दिल से काम करता है, लोग उसे स्वीकार करते हैं. पूर्व राजपरिवारों के लोग लगातार सियासत में रहे हैं. कोई राजनीति में रह कर सेवा कर रहा है तो कोई अपने ढंग से समाज की सेवा कर रहा है. इसमें कुछ.
इसके अलावा कुछ पूर्व सामंत और ठिकानेदार भी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें कोई सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ है तो कोई कांग्रेस के पाले में है.
विश्लेषक कहते हैं कि सामंती संस्कृति के कारण पूर्व राजघरानों का प्रभाव अब भी मौजूद है. लेकिन इतना भर चुनावी जीत की ज़मानत नहीं दे सकता.
कोई तीन माह पहले जब जैसलमेर के पूर्व राज परिवार की राजेश्वरी राज्यलक्ष्मी ने एक जलसे में चुनाव लड़ने की मुनादी की, तो उनके समर्थकों ने हर्षनाद किया. मगर अब उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है.
जयपुर के पूर्व राजवंश की दीया कुमारी अभी सत्तारूढ़ बीजेपी से विधायक हैं. लेकिन दीया कुमारी ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है.
उन्होंने मीडिया से कहा कि इसका कोई अन्य अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वे पार्टी के लिए बदस्तूर काम करती रहेंगी. पार्टी जो भी ज़िम्मेदारी सौंपेगी, निभाया जायेगा.
जानकारों के मुताबिक, पार्टी का एक वर्ग उनके नाम की ख़िलाफ़त कर रहा था. यह भी ग़ौरतलब है कि कोई दो साल पहले एक सम्पति को लेकर बीजेपी सरकार से पूर्व राज परिवार का विवाद इतना बढ़ा कि राजपूत समाज ने
सड़कों पर मोर्चा निकाला.
लोग अब भी सम्मान करते हैं'
इन विधानसभा चुनावों में पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों की मौजूदगी ने चुनावी मुक़ाबले को रोचक बना दिया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद धौलपुर के पूर्व राजपरिवार से हैं और अपनी पारम्परिक सीट झालरापाटन से चुनाव लड़
रही हैं.
कांग्रेस ने वसुंधरा राजे के विरुद्ध मारवाड़ में जसोल के मानवेन्द्र सिंह को उतारा है. राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से सांसद हैं. इसके अलावा कोटा के पूर्व राजघराने की कल्पना, बीकानेर में सिद्धि कुमारी, भरतपुर पूर्व रियासत
की कृषेन्द्र कौर दीपा और विश्वेन्द्र सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं. मुस्लिम रियासत रही लोहारू के ए ए खान दुरु मियां अलवर ज़िले में कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं.
कोटा में पूर्व राजपरिवार के इज्य राज सिंह कांग्रेस से संसद सदस्य रहे हैं. अब वे बीजेपी में हैं. उनकी पत्नी कल्पना कोटा में पार्टी प्रत्याशी हैं. वे कहते हैं कि पूर्व राजपरिवार जनता को हमेशा स्वीकार्य रहे हैं.
सिंह कहते हैं जो भी दिल से काम करता है, लोग उसे स्वीकार करते हैं. पूर्व राजपरिवारों के लोग लगातार सियासत में रहे हैं. कोई राजनीति में रह कर सेवा कर रहा है तो कोई अपने ढंग से समाज की सेवा कर रहा है. इसमें कुछ.
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