ब्राज़ील बांध हादसाः वो सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मिले

ब्राज़ील में ब्रूमाडिन्हो शहर के पास लौह अयस्क की एक ख़दान के पास मौजूद बांध टूट गया है जिसमें अब तक 34 लोगों की मौत हो गई है जबकि 300 से ज़्यादा लोगों का पता नहीं चल पा रहा है.

ब्रूमाडिन्हो दक्षिण पूर्व स्थित मिनस गेराइस राज्य का हिस्सा है. यहां के गवर्नर रोमू ज़ेमान ने मृतकों की पुष्टि करते हुए यह भी कहा कि अब मलबे से लोगों के जीवित बचने की संभवाना कम ही है.

इस बांध का इस्तेमाल ख़दान से निकले लौह अयस्क की सफ़ाई की प्रक्रिया में बने मलबे को जमा करने के लिए किया जाता था. ये ख़दान ब्राज़ील की सबसे बड़ी खनन कंपनी 'वेले' की है.

कंपनी के अनुसार इस इलाके में कई बांध बनाए गए थे जिनमें से एक ब्रूमाडिन्हो बांध है. 1976 में बनाए गए इस बांध में 20 लाख घन मीटर तक मलबा रखने की क्षमता थी.

वेले कंपनी का बिल रोकने का आदेश
स्टेट अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर मिनस गेराइस कोर्ट के जज रेनन सावेस काहेरा मसादो ने बांध हादसे के बाद वेने कंपनी के 100 करोड़ डॉलर के बिल को रोकने का आदेश दिया है.

उन्होंने इस राशि को कोर्ट के अकाउंट में जमा कराने का आदेश दिया है.

साथ ही आदेश में 48 घंटे के भीतर पीड़ितों और जल स्रोतों को इसके प्रभाव से बचाने और इसके प्रभाव में आने से होने वाली बीमारियों को लेकर नियंत्रण योजना तैयार करने को कहा गया है.

बीबीसी ने इस क्षेत्र में खनन पर नज़र रखने वाली एजेंसी के तीन सदस्यों से इस दुर्घटना से पड़ने वाले प्रभावों पर बात की.

बीबीसी ने उनसे वो सवाल पूछे जिसका जवाब अब तक वेले कंपनी या प्रशासन की तरफ से नहीं आया है और इन सवालों के जवाब से इस त्रासदी के कारणों और इसके पड़ने वाले प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी.

अलार्म सिस्टम ने काम क्यों नहीं किया?
मूवमेंट फॉर पॉपुलर सॉवरेन्टी इन माइनिंग से जुड़ीं मारिया जुलिया एन्द्राजे के अनुसार, बांध के इलाके में रहने वाले लोगों ने बताया कि हादसे के वक्त अलार्म सिस्टम ने काम नहीं किया.

वेले कंपनी ने इलाके के लोगों को दुर्घटना की किसी भी स्थिति को लेकर प्रशिक्षण दिया है, उन्हें बताया गया है कि अलार्म सुनने पर क्या करना है और इलाके से कैसे बाहर निकलना है.

हालांकि, एन्द्राजे के अनुसार हादसे के बाद कोई अलार्म नहीं बजा.

शुक्रवार को वेले के कंपनी प्रमुख फैबियो श्वार्ट्समैन ने रियो डी जेनेरो में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बांध अचानक ही टूटा हो और संभव है कि यह सब इतनी जल्दी हुआ हो कि अलार्म बजाने का मौका भी न मिला हो.

क्या अन्य बांधों पर भी पड़ेगा असर?
दुर्घटना के बाद, अग्निशमन की तरफ से प्रेस को बताया गया कि इसी खनन क्षेत्र के दो अन्य बांध भी क्षतिग्रस्त हुए हैं.

वेले प्रमुख ने यह बताया था कि केवल एक बांध टूटा है और दूसरा लबालब भर गया है, लेकिन उस बांध में कोई दरार नहीं है.

ख़नन के ख़िलाफ़ इलाकों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय समिति के प्रतिनिधि काटिया विसेन्टेनर कहते हैं कि यदि अन्य बांध भी क्षतिग्रस्त हो गये मलबा कहीं और बड़ा हो जाएगा.

वेले के अनुसार जो बांध क्षतिग्रस्त हुआ है उससे 11.7 मिलियन घन मीटर मलबा निकला है. ब्रूमाडिन्हो में ही स्थित दो अन्य बांधों में कितना मलबा है यह अभी पता नहीं है.

मलबा कितनी दूर तक फैलेगा?

वेले प्रमुख ने कहा कि 2015 में मरियाना में समारको खदान के पास हुए दुर्घटना की तुलना में ब्रूमाडिन्हो में पर्यावरण पर इसका कम असर होगा. 2015 की वो घटना ब्राजील के इतिहास की सबसे बड़ी पर्यावरणीय आपदा थी.

तब उस पूरे इलाके में, 20 हज़ार ओलंपिक स्वीमिंग पूल भरने के लिए पर्याप्त, 60 घन मीटर से अधिक मलबा फैल गया था.

ब्रूमाडिन्हो से निकला कीचड़ अब पराओपेबा नदी तक पहुंच गया है, जो साओ फ्रांसिस्को की एक सहायक नदी है.

इस तरह यह इस इलाके की सबसे महत्वपूर्ण नदी है, इसके ज़रिए लाखों लोगों को जल की आपूर्ति की जाती है.

साओ फ्रांसिस्को पहुंचने के लिए कीचड़ को अन्य बांधों को पार करना होगा जहां जल का भराव अभी ज़्यादा नहीं है. ये कीचड़ को पतला कर सकते हैं और इसका प्रभाव कम हो जाएगा.

हालांकि, मौसम की वजह से भी कीचड़ के प्रभाव पर असर पड़ सकता है. अगर कुछ दिनों में भारी बारिश होती है तो ऐसी स्थिति में नदी में कीचड़ की मात्रा बढ़ सकती है.

बांध को कैसे दी गई मंजूरी?
वेले के मुताबिक, जो बांध टूटा है उसे जून और फिर सितंबर 2018 में ही जांच करके सर्टिफ़िकेट दिया गया था. कंपनी का कहना है कि ये दस्तावेज़ बांध की प्राकृतिक और जलीय सुरक्षा को प्रमाणित करते हैं.

हालांकि, जानकार इस तरह की मंजूरी के मानदंडों पर सवाल उठाते हैं. इंस्टीट्यूट फॉर सोशियो-इकॉनमिक स्टडीज की राजनीतिक सलाहकार, एलेसेंड्रा कार्डोजो ने इस तथ्य का हवाला दिया कि इस बांध में तीन साल से कोई मलबा नहीं डाला जा रहा था.

वो कहती हैं कि, "यह जानना ज़रूरी है कि क्या कंपनी उन बांधों में भी सुरक्षा के उतने ही कठोर उपायों को अपनाती हैं जो निष्क्रिय हैं."

वो कहती हैं कि जब एक खदान या बांध अपनी सभी गतिविधियों को रोक देता है तो अमूमन इसके सुरक्षा मानदंडों पर रखरखाव कर रही कंपनियां कम ही ध्यान देती हैं."

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